बसपा प्रमुख मायावती कॉंग्रेस को कोसने का कोई मोका नहीं छोड़ती

लखनऊ. अखिलेश यादव और मायावती भले ही मिलकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन कुछ मुद्दों पर दोनों बिल्कुल भी एकमत नहीं है। भले ही दोनों नेताओं का मकसद भाजपा को सत्ता से बेदखल करना है, पर उनकी अपनी अलग-अलग स्ट्रेटजी है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव राहुल गांधी को लेकर नरम रुख अपनाये हुए हैं, वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती कांग्रेस को कोसने का कोई मौका नहीं छोड़तीं। राहुल के न्यूनतम आमदनी गारंटी वाले बयान पर मायावती ने भाजपा और कांग्रेस को तराजू के एक ही पलड़े में रखते हुए कहा कि विश्वसनीयता के मामले में दोनों ही पार्टियों का रिकॉर्ड बेहद खराब है।
कांग्रेस पर क्यों हमलावर हैं मायावती?
- मायावती इस समय अपने राजनीतिक जीवन के बेहद कठिन दौर से गुजर रही हैं। लोकसभा में मायावती की पार्टी का प्रतिनिधित्व शून्य है। यूपी विधानसभा में भी महज बसपा के सात ही विधायक हैं, जो बसपा के इतिहास में अब तक की न्यूनतम स्थिति है। यूपी ही नहीं अन्य राज्यों में भी बसपा का प्रतिनिधित्व पहले से कम हुआ है और प्राप्त वोट प्रतिशत में गिरावट आई है। हालत यह है कि अगर इस लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी का प्रदर्शन नहीं सुधरा तो राष्ट्रीय स्तर की पार्टी की मान्यता खत्म हो सकती है। यही कारण है कि मायावती ने 25 साल पुरानी दुश्मनी भुलाकर सपा संग मिलकर चुनाव लड़ रही हैं।
- इदिंरा गांधी के जमाने में दलित वोट बैंक पर कांग्रेस पार्टी को गुमान हुआ करता था, जो 1980 के दशक से बसपा के साथ है। लेकिन इस बार राहुल गांधी ने जिस तरह से प्रियंका गांधी को कांग्रेस महासचिव बनाकर उन्हें उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी है, उससे साफ है कि यह चुनाव करो या मरो की शैली लड़ने जा रही है। मायावती को चिंता है कि अगर कांग्रेस सक्रिय हुई तो बसपा का नुकसान हो सकता है। बसपा सुप्रीमो को लगता है कि 'न्यूनतम आमदनी गारंटी' वाले राहुल गांधी के वादे से यूपी में दलित जनाधार प्रभावित हो सकता है, इसलिए आनन-फानन में उन्होंने राहुल गांधी के बयान की खिल्ली उड़ाने वाला बयान दिया।
कांग्रेस के प्रति नरम रुख
सपा-बसपा गठबंधन से बाहर कांग्रेस पर मायावती भले ही निशाना साधने का कोई मौका नहीं चूकतीं, लेकिन अखिलेश यादव कांग्रेस के प्रति नरम रुख अपनाये हुए हैं। राहुल गांधी के सत्ता में आने पर न्यूनतम आय के वादे पर मायावती ने तंज कसा तो अखिलेश ने ट्वीट कर कहा कि 2019 का लक्ष्य साफ है- भाजपा हटाओ, उम्मीद जगाओ। चुनाव जीतकर रोस्टर, आरक्षण, फसलों के दाम, इनकम गारंटी जैसे मुद्दों को आपस में तय किया जा सकता है। इससे पहले भी अखिलेश यादव प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस महासचिव बनाये को अच्छा फैसला करार दे चुके हैं।
Input:patrika

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