नशे के कारोबारी देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गए हैं इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती

 


नशे के कारोबार को ध्वस्त करने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो देश भर में जो अभियान छेड़ने जा रहा है, उसकी सफलता के लिए यह आवश्यक है कि उसके निशाने पर ड्रग्स तस्कर होने चाहिए, न कि नशे का सेवन करने वाले। इस संदर्भ में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह सही कहा कि नशे का सेवन करने वालों को पीड़ित के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि अपराधी के रूप में। दुर्भाग्य से फिलहाल अधिकतर मामलों में ऐसा ही होता है। इसके चलते न केवल नशे का सेवन करने वालों के साथ अपराधियों की तरह व्यवहार किया जाता है, बल्कि उन्हें कठोर कानूनी प्रक्रिया से भी दो-चार होना पड़ता है। कई बार तो उन्हें लंबे समय तक जेल में भी रहना पड़ता है।




यह चिंताजनक है कि देश में नशे का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। पिछले कुछ समय में मादक पदार्थों की बड़ी-बड़ी खेप पकड़ी गई हैं। निःसंदेह मादक पदार्थों की खेप बरामद किया जाना यह बताता है कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने अपनी चौकसी बढ़ाई है, लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि उसकी सक्रियता के चलते नशे का कारोबार करने वाले हतोत्साहित हो रहे हैं। उनकी सक्रियता पर रोक लगानी होगी और यह तब संभव होगा, जब जिला स्तर पर पुलिस भी नशे के कारोबार के खिलाफ सख्ती का परिचय देगी। वास्तव में पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के बीच तालमेल बढ़ाने की आवश्यकता है।


यह अच्छा है कि केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर कायम तालमेल को जिला स्तर पर भी स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि नशे के तस्कर अपने तौर-तरीके बदल रहे हैं। वे छोटे शहरों के स्कूली बच्चों को भी अपने निशाने पर ले रहे हैं। नशे का बढ़ता चलन केवल युवा पीढ़ी को खोखला ही नहीं कर रहा है, बल्कि वह देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहा है। इससे भी खतरनाक बात यह है कि नशे के तस्कर देश विरोधी तत्वों और आतंकियों के साथ मिल गए हैं।


स्पष्ट है कि नशे के कारोबारी देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गए हैं। इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि उन क्षेत्रों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो हाल तक नशे के कारोबार से अछूते थे। अभी तक आम तौर पर देश के सीमावर्ती इलाके ही नशे के कारोबार के गढ़ के रूप में जाने जाते थे, लेकिन अब देश के अंदरूनी इलाकों में भी मादक पदार्थ पहुंच रहे हैं। नशे के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए जहां यह आवश्यक है कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो अपनी चौकसी बढ़ाए, वहीं यह भी जरूरी है कि समाज में भी मादक पदार्थों के खिलाफ जागरूकता पैदा हो। किशोरों और युवाओं के बीच यह संदेश पहुंचाना ही होगा कि मादक पदार्थों का सेवन केवल तबाही की ओर ले जाता है।

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