‘‘जैव विविधता और प्र्यावरणीय तंत्र को बचाने और बहाल करने की आवश्यकता है, क्योंकि मानव हस्तक्षेप ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया

                  

अलीगढ़ ।  ‘‘जैव विविधता और प्र्यावरणीय तंत्र को बचाने और बहाल करने की आवश्यकता है, क्योंकि मानव हस्तक्षेप ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है जिसके परिणामस्वरूप जल और वायु प्रदूषित हुआ है। सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारे पर्यावरण से संबंधित हैं’’। यह उद्गार डा. हिशमी जमील हुसैन, प्रमुख जैव विविधता, कार्पोरेट स्थिरता, टाटा स्टील लिमिटेड ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित आनलाइन कार्यक्रम में व्यक्त किये। वह ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान दे रहे थे।
डा हुसैन ने एजेंडा -2030 पर प्रकाश डालते हुए सतत विकास प्राप्त करने के लिए सत्रह लक्ष्यों का उल्लेख किया। उन्होंने जलवायु और जैविक विविधता के संरक्षण के लिए पेरिस समझौते और राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्य (एनबीटी) का हवाला दिया।
वृक्षारोपण के बारे में जन जागरूकता की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने इनडोर और आउटडोर पौधों के बारे में बात की जो प्राकृतिक वायु शोधक के रूप में कार्य करते हैं। उन्होंने वनस्पति उद्यानों के दौरे, और शारीरिक गतिविधियों जैसे साइकिल चलाना आदि पर भी जोर दिया।
अपने अध्यक्षीय भाषण में एएमयू के प्रो-वाइस चांसलर प्रो जहीरुद्दीन ने कोरल रीफ्स की रक्षा, सौर संयंत्रों के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन, और खराब भूमि पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। उन्होंने शिक्षा के सभी पहलुओं में मूल्यों और प्रथाओं को एकीकृत करने पर भी बल दिया।
इससे पूर्व, शिक्षा विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर नसरीन ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और मुख्य वक्ता का परिचय कराया।
प्रोफेसर मुजीबुल हसन सिद्दीकी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया, जबकि डा मोहम्मद शहीर सिद्दीकी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
विश्व प्र्यावरण दिवस पर एक अन्य कार्यक्रम में सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड ग्रीन एंड रिन्यूएबल एनर्जी, जेडएचसीईटी, एएमयू के निदेशक प्रो. मोहम्मद रिहान ने ‘जलवायु प्रश्न और शैक्षणिक संस्थान’ पर आनलाइन व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम का आयोजन जेडएचसीईटी की आईईईई छात्र शाखा के सहयोग से किया गया था।
प्रो रिहान ने जलवायु संकट के बारे में बताया कि कैसे कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ता स्तर मानवता तथा विशेष रूप से पहले से ही कमजोर लोगों के लिए एक अस्तित्वगत संकट बन गया है।
इस चुनौती से निपटने के लिए जागरूकता पैदा करने, समाधान खोजने और जनशक्ति को प्रशिक्षित करने में अकादमिक संस्थानों को महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर जोर देते हुए, प्रोफेसर रिहान ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण पहल में सीओ 2 उत्सर्जन और ग्लोबल वार्मिंग को केंद्र में रखना चाहिए। उन्होंने हरित ऊर्जा स्रोतों को अपनाने, ऊर्जा संरक्षण और हरित बिजली आपूर्ति पर भी बल दिया। इस संबंध में उन्होंने अच्छे उदाहरण स्थापित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अमुवि जैसे संस्थान ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में काम करके एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
इस कार्यक्रम के तहत जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण पर आधारित एक ऑनलाइन क्विज भी आयोजित की गई। बी.टेक प्रथम वर्ष के हमजा अहमद खान ने प्रथम पुरस्कार जीता, जबकि मोहम्मद अयान और मोहम्मद जीशान ने क्रमशः द्वितीय और तृतीय पुरस्कार जीता।
श्री मोहम्मद जैद, सहायक प्रोफेसर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग ने सत्र का संचालन किया तथा सुश्री महेना महमूद ने कार्यक्रम का संचालन किया।
इस कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों और कार्यरत इंजीनियरों ने भाग लिया।

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