लखनऊ में हुए विरोध प्रदर्शन में भी सार्वजनिक संपत्ति का जबरदस्त नुकसान हुआ l


यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की कीमत दंगाइयों से वसूल की जाएगी
नागरिकता संशोधन एक्ट (Citizenship Amendment Act) पर देश के कई हिस्सों में बवाल पसरा है. लोग इस इस एक्ट के खिलाफ हिंसक विरोध (Violent Protest) प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में हुए विरोध प्रदर्शन में सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति (Public And Government Properties) को नुकसान पहुंचाया गया है. गुरुवार को लखनऊ में हुए विरोध प्रदर्शन में भी सार्वजनिक संपत्ति का जबरदस्त नुकसान हुआ.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने हिंसक विरोध प्रदर्शन पर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. उन्होंने कहा है कि हिंसा करने वाले दंगाइयों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. सीएम ने कहा है कि उपद्रवियों से सख्ती से निपटा जाएगा. प्रदर्शन के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

योगी आदित्यनाथ ने कड़े शब्दों में कहा कि सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति का नुकसान करने वाले दंगाइयों की संपत्ति जब्त की जाएगी. हम उनसे संपत्ति के नुकसान का बदला लेंगे और उनसे नुकसान हुई संपत्ति की कीमत वसूल करेंगे. दंगाइयो से निपटने के लिए योगी सरकार ने कड़ी कार्रवाई की बात कही है. सवाल है कि अक्सर विरोध प्रदर्शनों में सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति का नुकसान होता है. क्या सरकार नुकसान की भरपाई के लिए उपद्रव करने वालों से इसकी कीमत वसूल कर सकती है? इस बारे में कानून क्या कहता है?

क्या दंगाइयों से वसूली जा सकती है नुकसान की कीमत
इस बारे में सार्वजनिक संपत्ति नुकसान रोकथाम अधिनियम 1984 है. इसके प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी साबित होता है तो उसे 5 साल की सजा हो सकती है. इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है.

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लखनऊ में भीड़ ने जमकर तोड़फोड़ की और यहां खड़ी कई गाड़ियों को फूंक डाला.


कानून के मुताबिक सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति का नुकसान पहुंचाने के दोषी को तब तक जमानत नहीं मिल सकती, जब तक कि वो नुकसान की 100 फीसदी भरपाई नहीं कर देता है.

सार्वजनिक संपत्ति नुकसान रोकथाम अधिनियम 1984 केंद्रीय कानून है. इसके अलावा अलग-अलग राज्यों ने इस बारे में अपने-अपने कानून बना रखे हैं. केंद्रीय कानून के अलावा राज्यों के कानून के मुताबिक ऐसे मामलों में दोषियों को सजा सुनाई जाती है.

संपत्ति के नुकसान को लेकर राज्यों ने बनाए हैं कानून
केरल में पिछले दिनों सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश का मसला काफी उछला था. इसको लेकर राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति का काफी नुकसान पहुंचा. इससे निपटने के लिए केरल सरकार एक नया बिल लेकर आई. केरल की विधानसभा में Kerala Prevention of Damage to Property and Payment of Compensation Ordinance 2019 पेश किया गया. इसमें पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान को सार्वजनिक या सरकारी संपत्ति के नुकसान के बराबर ही माना गया है.

नंवबर में इस बिल को विधानसभा ने पारित कर दिया है. इस बिल के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी विरोध प्रदर्शन में पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया जाता है तो उसे 5 साल की सजा हो सकती है. इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है. केरल के इस एक्ट के मुताबिक अगर हिंसक विरोध प्रदर्शन में विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ हो या फिर आगजनी हुई हो तो दोषी को 10 साल तक की सजा हो सकती है.

ऐसे मामलों में दोषी को तब तक जमानत नहीं मिलने का प्रावधान है, जब तक कि वो नुकसान हुई संपत्ति का 100 फीसदी भरपाई नहीं कर देता. जबकि केंद्रीय कानून में ये प्रावधान है कि जमानत के लिए कम से कम नुकसान हुई संपत्ति का 50 फीसदी की भरपाई करनी होगी.

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CAA के विरोध में प्रदर्शन (फोटो- Twitter)


इस बारे में इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 425 में प्रावधान है. सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति के नुकसान पर सेक्शन 425 में विस्तार से बताया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी की है गाइडलाइंस
सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी गाइडलाइंस जारी की है. 2007 में सार्वजनिक संपत्ति के भीषण नुकसान की खबरों पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. उस वक्त हिंसक विरोध प्रदर्शन, बंद और हड़ताल में सरकारी संपत्ति का खूब नुकसान हुआ था.

सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में कानून में बदलाव के लिए दो कमिटी बनाई थी. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज केटी थॉमस और सीनियर वकील फली नरीमन को कमेटियों का प्रमुख बनाया गया था. 2009 में इन दोनों कमिटियों की सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति को लेकर कुछ गाइडलाइंस जारी किए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने गाइडलाइंस में सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान होने की स्थिति में सारी जिम्मेदारी नुकसान के आरोपी पर डाली है. गाइडलाइंस के मुताबिक अगर सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होता है तो कोर्ट ये मानकर चलती है कि नुकसान का आरोपी इसका जिम्मेदार है. आरोपी को खुद को निर्दोष साबित करना होता है. निर्दोष साबित होने तक कोर्ट उसे जिम्मेदार मानकर चलती है. नरीमन कमिटी ने कहा था कि ऐसे मामलों में दंगाइयों से सार्वजिनक संपत्ति के नुकसान की वसूली की जाए.

हालांकि विरोध प्रदर्शनों में सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान को वसूल पाना बहुत मुश्किल होता है. 2015 में गुजरात में हुए पाटीदार आंदोलन में सार्वजनिक संपत्ति का बहुत नुकसान हुआ. हार्टिक पटेल को सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का आरोपी बनाया गया. लेकिन उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जिरह के दौरान बताया कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि हार्दिक पटेल के कहने पर हिंसा फैली. हार्दिक पटेल से कोई वसूली नहीं हुई l

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