वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस मुठभेड़ के मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग हस्तक्षेप नही करेगा।





हैदराबाद के आरोपियों का एनकाउंटर: जानिए, एनकाउंटर को लेकर क्या हैं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस

नई दिल्ली। हैदराबाद के बहुचर्चिच डॉक्टर गैंगरेप और मर्डर केस के चारों आरोपियों को एनकाउंटर में मार गिराया गया है। हैदराबाद गैंगरेप के चारों आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया है। एनकाउंटर नेशनल हाइवे-44 के पास गुरुवार देर रात हुआ। गैंगरेप के चारों आरोपियों को पुलिस एनएच-44 पर क्राइम सीन रिक्रिएट कराने के लिए लेकर गई थी। इसी दौरान चारों आरोपियों ने भागने की कोशिश की। तेलंगाना पुलिस के मुताबिक पुलिस टीम ने चारों आरोपियों को रोकने की कोशिश की, लेकिन जब वो नहीं रूके तो उनपर गोलियां चलानी पड़ी। इस एनकाउंटर में चारों आरोपियों की मौत हो गई।
जहां इस एनकाउंटर ने पीड़िता का परिवार और देश के लोग खुश हैं, तेलंगाना पुलिस की तारीफ कर रहे हैं तो वहीं इस एनकाउंटर को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। चारों आरोपी पुलिस रिमांड पर थे। जिन हालातों में एनकाउंटर को अंजाम दिया गया उसकी जांच की बात कही जा रही है। इस एनकाउंटर के बाद सुप्रीम कोर्ट की वकील वृंदा ग्रोवर ने पुलिस के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है। वहीं तेलंगाना पुलिस ने कहा है कि एनकाउंटर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस है, जिसके मुताबिक इन मामले की भी जांच की जाएगी। आइए आपको बताते हैं एनकाकाउंटर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस क्या कहती है।
 

एनकाउंटर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस

साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी एनकाउंटरों को लेकर एक अहम आदेश जारी करते हुए 16 गाइडलाइन्स जारी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने एनकाउंटर पर अपनी गाइडलाइन्स में कई अहम बातें कही हैं। आपको इस गाइडलाइंस की अहम बातों के बारे में बताते हैं। एनकाउंटर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइड लाइंस में कहा है कि एनकाउंटर के बाद मामले की FIR दर्ज की जाएगी जो इलाके से संबंधित कोर्ट भेजी जाएगी।एनकाउंटर के बाद सीआरपीसी के सेक्‍शन 176 के तहत तुरंत मजिस्‍ट्रेट स्‍तर की जांच कराई जाए। गाइडलाइंस के तहत जांच राज्य की CID, दूसरे पुलिस स्टेशन या किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाएगी जो पूरी तरह साइंटिफिक, अच्छी तरह दस्तावेज आधारित और निर्णायक जांच रिपोर्ट तैयार करेगी। एनकाउंटर की जांच SP रैंक का अधिकारी करेंगे।

एनकाउंटर के तुरंत बाद दर्ज हो एफआईआर

एनकाउंटर को लेकर सुप्रीम द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस के मुताबिक एनकाउंटर से पहले किस तरह पुलिस टीम को जानकारी मिली, ये पुलिस डायरी में दर्ज करना होगा। अगर किसी हाई अथॉरिटी से सूचना मिली हो तो वो भी दर्ज होना चाहिए। गाइडलाइंस के मुताबिक एनकाउंटर में जख्मी लोगों को जल्द मेडकिल सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। एनकाउंटर के बाद इसकी मजिस्ट्रेटी जांच कराई जाएगी और ये रिपोर्ट इलाके के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट को भेजी जाएगी। एनकाउंटर में इस्तेमाल हथियारों को पुलिस टीम सील करेगी और जांच के लिए फोरेंसिक और बैलेस्टिक लैब में भेजा जाएगा। एनकाउंटर में मारे गए लोगों के पोस्टमार्टम के लिए दो डॉक्टरों की टीम होगी। गाइडलाइंस के मुताबिक डॉक्टरों की एक टीम में जिला अस्पताल का हेड डॉक्टर शामिल होंगे।

पुलिस टीम के सदस्यों को प्रमोशन नहीं

एनकाउंटर में शामिल पुलिस टीम के सदस्यों को तब तक कोई प्रमोशन नहीं मिलेगा जब तक जांच पूरी नहीं होती। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस मुठभेड़ के मामले में अपने नए दिशा निर्देशों में साफ किया है कि भविष्य में किसी भी पुलिस मुठभेड़ के तुरंत बाद एफआईआर दर्ज कराना जरूरी होगा। एनकाउंटर में शामिल पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों को तब तक प्रमोशन नही दिया जाएगा जब तक मुठभेड़ की मजिस्ट्रेटी जांच ना हो जाए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस मुठभेड़ के मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग हस्तक्षेप नही करेगा।

एनकाउंट के खिलाफ कोर्ट जाने की छूट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी को एनकाउंटर के फर्जी होने का शक हो तो वह सेशन कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकता है। वहीं कोर्ट ने कहा है कि एनकाउंटर के बाद बिना देर किए पुलिस को पीड़ितों के निकटतम परिजनों को इसकी जानकारी देनी होगी। घटना की जानकारी पुलिस अधिकारी के परिवार को भी दी जानी चाहिए तथा यदि उसे वकील और परामर्शदाता की सेवा की जरूरत हो तो इसका भी प्रस्ताव दिया जाना चाहिए। गाइडलाइंस के मुताबिक घटना की पूरी जांच के बाद, रिपोर्ट सीआरपीसी की धारा 173 के तहत सक्षम अदालत के पास भेजी जानी चाहिए।कॉपी :- वन इंडिया 

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