भारत सरकार के इस फैसले की गूंज दुनिया में भी सुनाई दे रही है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया के कई प्रमुख नामों ने इस खबर को प्रमुखता से जगह दी है.

मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकार खत्म कर दिए हैं और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया है

रॉयटर्स
मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर एक एतिहासिक फैसला किया है. उसने संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान खत्म दिए हैं. इसके बाद जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकार खत्म हो गए हैं और राज्य में भारत का संविधान पूरी तरह से लागू हो गया है. केंद्र सरकार ने राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का भी फैसला किया है. पहला हिस्सा जम्मू और कश्मीर होगा जिसकी अपनी विधानसभा होगी. दूसरा भाग लद्दाख होगा, लेकिन इसकी कोई विधानसभा नहीं होगी. दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल अलग-अलग होंगे.
भारत सरकार के इस फैसले की गूंज दुनिया में भी सुनाई दे रही है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया के कई प्रमुख नामों ने इस खबर को प्रमुखता से जगह दी है. अमेरिकी अखबार द वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा के इस फैसले से नई दिल्ली के जम्मू-कश्मीर के साथ रिश्ते और खराब होंगे. अखबार ने इस मुद्दे पर प्रमुख नेताओं के बयानों को भी जगह दी है.
एक अन्य चर्चित अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा वाली भाजपा ने धारा 370 हटाने का मुद्दा हालिया आम चुनावों के लिए अपने चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल किया था. अखबार के मुताबिक इस फैसले के नतीजे में जो अस्थिरता दिख सकती है उससे निपटने के लिए सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती सहित व्यापक इंतजाम कए हैं.
ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने मोदी सरकार के इस फैसले को दूरगामी परिणामों वाला बताया है. अखबार लिखता है कि इससे जम्मू-कश्मीर पूरी तरह नई दिल्ली के नियंत्रण में आ जाएगा. इसके बाद पहले से ही अस्थिरता से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर में हालात और खराब होने की आशंका है.
उधर, पाकिस्तानी अखबार डॉन की वेबसाइट का पहला पन्ना मोदी सरकार के इस फैसले से जुड़ी खबरों से भरा पड़ा है. अपने संपादकीय में अखबार ने सवाल उठाया है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वोटर बेस को खुश करने के लिए सारी लोकतांत्रिक परंपराओं को किनारे करने वाले हैं. पाकिस्तान सरकार का कहना है कि भारत का यह कदम अवैध है और वह इसका विरोध करने के लिए हरमुमकिन विकल्प अपनाएगी. वहां की विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर संसद का संयुक्त सत्र बुलाने की मांग की है. डॉन ने इन सभी खबरों को जगह दी है. साभार : सत्याग्रह 

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