यह हर्ष का विषय है कि विश्व के अन्य देशों से अलग भारत में समाचार पत्रों में रूचि, इलैक्ट्रोनिक तथा सोशल मीडिया के प्रचलन के बावजूद कम नहीं हो रही है।प्रो . किदवई

अलीगढ़ /अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इस्लामिक स्टडीज़ विभाग में चल रहे पन्द्रह दिवसीय समर स्कूल आॅन इस्लामिक स्टडीज में छात्र व छात्राओं को सम्बोधित करते हुए जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर शाफे किदवई ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि विश्व के अन्य देशों से अलग भारत में समाचार पत्रों में रूचि, इलैक्ट्रोनिक तथा सोशल मीडिया के प्रचलन के बावजूद कम नहीं हो रही है। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि मीडिया में एक विशेष मानसिकता के लोग देश में वास्तविक समस्याओं के बजाय निम्न स्तरीय तथा अनावश्यक मुद्दों को चर्चा का विषय बना रहे हैं।

प्रोफेसर किदवई ने कहा कि वंचित वर्गों तथा अल्पसंख्यकों की समस्याओं के प्रति उदासीनता का वातावरण है। जबकि यह भी सत्य है कि उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ने वालों में सबसे बड़ी संख्या बहुसंख्यक वर्ग के लोगों की ही है और वह आगे बढ़ कर उनके शोषण के मामलों को मीडिया द्वारा उठा रहे हैं।

प्रोफेसर किदवई ने कहा कि मुसलमानों के लिये आवश्यक है कि वह अपनी पारम्परिक परिधि से बाहर निकलें तथा अन्य शोषित एवं वंचित वर्गों के साथ मिलकर अपने अधिकारों के लिये प्रयास करें। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रयासों में देश के सभी न्यायप्रिय एवं सैक्युलर लोगों का उन्हें सहयोग प्राप्त होगा।

सोशल साइंस संकाय के अधिष्ठाता प्रो. अकबर हुसैन ने इस्लामिक कौन्सिलिंग विषय पर बोलते हुए कहा कि इस्लाम में आस्था, आराधना तथा नैतिकता की व्यवस्था एक साथ मिलकर मानव मनोविज्ञान का निर्माण करती है। उन्होंने कहा कि ईश्वर की आराधना से मानव जीवन में अनुशासन पैदा होता है तथा मनुष्य को निराशा एवं व्याकुलता से छुटकारा प्राप्त होता है।

विधि विभाग के प्रोफेसर शकील समदानी ने समान आचार संहिता के विधिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश के वर्तमान परिदृश्य में समान अचार संहिता को लागू करना ठीक नहीं है। उन्होंने संविधान की विभिन्न धाराओं का संदर्भ देते हुए कहा कि समान आचार संहिता का संविधान की विभिन्न धाराओं से टकराव है तथा इसे वर्तमान परिप्रेक्ष में लागू नहीं किया जा सकता।

अंत में विभाग अध्यक्ष प्रो. उबैदउल्लाह फहद ने सहभागियों के प्रश्नों का उत्तर दिया। जबकि कार्यक्रम का संचालन कहकशां नाज ने किया। कार्यक्रम के समन्वयक डाॅ. जियाउद्दीन फलाही ने सहभागियों के लिये प्रश्नोत्तर सत्र के आयोजन में महत्वपूर्ण भमिका निभाई।

Post a Comment

0 Comments