अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस 2019..वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे: भारत में 30 सालों में 80 से ज्यादा पत्रकारों की हत्या,

                 आज हैं अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस 2019..
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे: भारत में 30 सालों में 80 से ज्यादा पत्रकारों की हत्या, सिर्फ एक आरोपी को हुई सजा
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1990 से अब तक भारत में 80 पत्रकारों की हत्या के मामले सामने आए हैं। लेकिन सिर्फ एक मामला ही अदालती कार्रवाई के स्तर तक पहुंच सका है।
प्रेस की आजादी के मामले में पिछले तीन सालों भारत की रैकिंग गिरती जा रही है। पिछले दो सालों में ही भारत में 15 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है। वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2019 यानी ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2019’ में भारत 140वें स्थान पर है।
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1990 से अब तक भारत में 80 पत्रकारों की हत्या के मामले सामने आए हैं। लेकिन सिर्फ एक मामला ही अदालती कार्रवाई के स्तर तक पहुंच सका है। इसी साल जनवरी महीने में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में पंचकूला में सीबीआई की अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है।
कुछ मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है। वहीं कुछ मामलों में आज तक किसी को कसूरवार तक नहीं ठहराया गया है।
सजा दिलाने में भारत काफी पीछे
पत्रकारों के हत्यारों को सजा दिलाने के मामले में भारत काफी पीछे है। अमेरिका की एक गैर-लाभकारी संस्था 'कमिटी टु प्रॉटेक्ट जर्नलिस्ट' (CPJ) की एक वैश्विक सूची में यह जानकारी सामने आई है।
इस लिस्ट में उन देशों को शामिल किया गया है जहां पत्रकारों की हत्या की गई और मामलों की जांच अब भी लटकी हुई है। भारत को इस सूची में 14वें स्थान पर रखा गया है। चिंता की बात है कि यह लगातार 11वां साल है जब भारत को इस सूची में रखा गया है।
पत्रकारों की सुरक्षा पर निगरानी रखने वाली सीपीजे के अनुसार भारत में भ्रष्टाचार कवर करने वाले पत्रकारों की जान को खतरा हो सकता है। लेखक: वरिष्ठ पत्रकार है

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