मेरे ज़ज्बातो से इस कदर वाफिक हे मेरी कलम में इश्क भी लिखना चाहू तो भी इंकलाब लिख जाता हे

देश प्रेम..

आज हमारे देश में राष्ट्र भक्ति  अपनी चरम सीमा पर नजर आती हे पर  सच बात तो यह हे कि हम सच मे  राष्ट्र भक्त नहीं हे हम देश कि किसी भी चीज से प्यार नहीं करते हे हम आज भी सबसे ज्यादा सड़को को गन्दा करते हे हम आज भी सबसे ज्यादा ट्रेफिक के नियम तोड़ते हे हम आज भी सबसे ज्यादा दुसरे देश कि तुलना मे अपने देश को बुरा समझते हे क्या लाइन मे चलना देश को साफ सुथरा रखना  देश भक्ति नही हे हम तो बस उन बातो पर उन मुद्दो पर देश भक्त बनते हे जो दिलो मे नफरत पेदा करे जो हिंसा को बढ़ावा दे सच बात तो यह हे साहब कि हम शाम को टीवी पर नफरत फेलाने वाली गर्मा गरम बेहस सुनकर जगते हे कि हम  भी देश भक्त हे आज टीवी हमे बताता हे कि आज़ के दिन देश भक्ति का विषय क्या हम अभिनंदन के आने कि खुशी मे सिद्दार्थ वशिठ कि शहादत को भुला दिया  पर क्या  सच मे हम अपने सेनिकों से प्यार करते हे बिना जंग के भी हजारो सेनिक हमारे शहीद हौ चुके हे उनको शहादत का दर्जा तक नही मिलता   उनके घर वालों को पेंशन नही मिलती हे  लेकिन कभी  भी हमने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर होकर चर्चा नही करी कभी हमने राष्ट्रीय सुरक्षा की लापरवाही को लेकर धरना पर्दशन नही करा कभी हमने देश की अमन शन्ति के लियें पेदा होने वाले खतरों को लेकर कोई सेमिनार विचार गोष्टी नही कि राष्ट्रीय सुरक्षा कभी हमारा चुनावी मुद्दा नही रहा
लेखक :मुहम्मद आकिल (नई दिल्ली)

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