सम्पूर्ण विकास के लिए इतिहास का ज्ञान अवश्यक:प्रो. तारिक मंसूर

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एडवांस स्टडी ऑफ हिस्ट्री के तत्वाधान में आयोजित “मध्यकालीन भारत में मतभेद एवं सहयोग“ विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि इतिहास भूतकाल को एक परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है और मानव बोध के संपूर्ण विकास के लिए इतिहास का ज्ञान आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इतिहास की अनुपस्थिति में मानव जीवन में शून्य ही होगा।
प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि इतिहासविदों के लिए आवश्यक है कि वह जनता को यथार्थ पर आधारित इतिहास का बोध करायें क्यों कि इसी आधार पर लोकमत का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का इतिहास विभाग सोशल साइंस फैकल्टी के अग्रणी विभागों में से एक है और यहॉ से भारतीय इतिहास के बड़े-बड़े विद्वान पैदा हुए हैं। उन्होंने प्रोफेसर शाहिद मेंहदी के खराब स्वास्थय के कारण सेमीनार में सम्मिलित न होने के कारण अल्पसमय में प्रोफेसर शीरीं मूसवी द्वारा उनके स्थान पर व्याख्यान प्रस्तुत करने के लिए उनका धन्यवाद किया। इस अवसर पर प्रोफेसर मंसूर ने संपादक सुश्री लुबना इरफान तथा सह संपादक सुश्री जैनब नकवी द्वारा संपादित बुलेटिन ऑफ सुलतानियां हिस्ट्रोरीकल सोसाइटी के नवीन अंक का लोकार्पण किया। प्रोफेसर एमरेटस प्रोफेसर इरफान हबीब ने “धर्म तथा मध्य कालीन विचारधारा का समायोजन” विषय पर  मुख्य भाषण प्रस्तुत करते हुए कहा कि सभी संस्कृतियों में आत्मविरोधी एवं समायेजनकारी तत्व मौजूद होते हैं और इस्लाम तथा हिंदू धर्मों का जो स्वरूप आज हमारे सामने है वह आठवीं या तेरहवीं शताब्दी में वैसा नहीं था। उन्हांने कहा कि कुछ विद्वानों का इस्लाम धर्म को पूर्णतः बाहरी तथा हिंदू धर्म को पूर्णतः मनुस्मृति पर आधारित मानना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि लेखापद्धति दस्तावेजों में मौजूद तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि मनुस्मृति या इस्लाम जाति विहीन अथवा वर्ग विहीन समाज का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि इस बात का भी कोई सुबूत नहीं है कि मुसलमानों में दासता मौजूद नहीं थी। उन्होंने कहा कि बहुत बाद में अकबर ने दासता पर पाबंदी लगाकर समाज के पिछड़े वर्गो के बारे में सोचने का रास्ता प्रशस्त किया।
प्रोफेसर हबीब ने अपने व्याख्यान में इस्लाम और हिंदू मत में तसव्वूफ तथा वेदांता जैसे समरसता पर आधारित विचारों तथा मान्यताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस वैचारिक सदभावना के बावजूद महाराष्ट्र के हिंदू विद्वान नामदेव जैसे विचारक हिंदू एकेश्वरवाद को इस्लामी एकेश्वरवाद से अंतर करते थे। प्रोफेसर हबीब ने राजाराम मोहन राय की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सदभावना के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रोफेसर शीरीं मूसवी ने अपने भाषण में भारत में मुसलमानों के आगमन से लेकर दिल्ली सल्तनत के खिलजी काल पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मुहम्मद बिन कासिम ने जब सिंध पर आक्रमण किया तो अल हज्जाज ने उसे निर्देश दिया था कि वह मंदिरों को बरबाद न करे तथा यदि लोग कर देने को तैयार हों तो उनके जान-माल से छेड़ छाड़ न की जाये। उन्होंने कहा कि इस काल में हिंदुओं तथा मुसलमानों के मध्य सहयोगात्मक आदान-प्रदान के संबंध सुदृढ़ हुए तथा भारतीय विज्ञान से इराक तक के लोग लाभान्वित हुए।
प्रोफेसर मूसवी ने कहा कि मध्यकालीन भारत का इतिहास द्वंद एवं सहयोग की घटनाओं से पूर्ण है तथा इस युग के इतिहास का अध्ययन करने वालों के लिए आवश्यक है कि वह एकल भावना अथवा सोच से इतिहास के इस भाग का अध्ययन न करें बल्कि बहुआयामी तत्वों पर अपने अध्ययन का आधार रखें।
इतिहास विभाग के अध्यक्ष तथा सी0ए0एस0 के समन्वयक प्रोफेसर अली नदीम रजावी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि मध्यकालीन भारत के इतिहास को सामान्यतः द्वंद के युग के रूप में देखा जाता है। जो पूर्णतः सही नहीं है। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह काल विभिन्न विचारों एवं मतों के समागम का काल है जिससे मिलकर भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि भारत के सभी बड़े इतिहासविदों ने मध्यकालीन भारत को द्वंद काल मानने से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि महमूद गजनी के आगमन से पूर्व अरब व्यापारियों द्वारा प्रयुक्त कुछ सिक्के मिले हैं जिन पर पैगम्बर मुहम्मद साहब को हिंदू मान्यता के अनुरूप ईश्वर का अवतार दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि इस सेमीनार में विद्वानों एवं वक्ताओं की कोशिश होगी कि मध्यकालीन भारत के इतिहास को अवैज्ञानिक भावनात्मक एवं संकीर्ण मान्यताओं से आजाद किया जाये।
प्रोफेसर रजावी ने बताया कि इतिहास विभाग द्वारा आर्क्यालोजीकल सर्वे ऑफ इंडिया के सहयोग से पुरातत्व के क्षेत्र में सर्टीफिकेट कोर्सेज प्रारंभ करने पर विचार किया जा रहा है।
प्रोफेसर पुष्प प्रसाद ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
प्रोफेसर रजावी ने पुरातत्व सेक्शन के जर्जर भवन के पुनउर्द्धार के लिए धन प्रदान करने के लिए कुलपति का धन्यवाद ज्ञापित किया। सेमीनार में देश भर से इतिहासकार भाग ले रहे हैं।
------मुस्लिम विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा प्रधानमंत्री युवा सोच के तहत युवा कल्याण एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश पर पॉलीटेक्निक सभागार में जिला स्तरीय युवा संसद महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर द्वारा किया गया। युवा संसद में आतंकवाद, आर्थिक अपराध, जलवायु परिवर्तन एवं खेलो इंडिया जैसे ज्वलंत मुद्दों पर सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष टीमों के बीच जमकर बहस हुई।

उद्घाटन भाषण में कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि लोकतंत्र हमारे संविधान का महत्वपूर्ण अंग है और लोकतांत्रिक समाज चुनाव पर आधारित है। उन्होंने कहा कि सभी महत्वपूर्ण बातों पर संसद के भीतर ही विचार विमर्श होता है और वहॉ मौजूद जनप्रतिनिधि जनता की बातों को संसद में उठाता है। कुलपति ने युवा संसद में भाग लेने वाले प्रतिभागियों से कहा कि उन्हीं के बीच से प्रतिभावान युवक देश में स्थानीय निकायों से लेकर संसद तक पहुॅचेंगे।
एन0एस0एस0 के समन्वयक प्रोफेसर मसरूर आलम ने कार्यक्रम के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की पहल पर इस कार्यक्रम की शुरूआत हुई है ताकि देश का युवा महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कर सके। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में चुने गये प्रतिभागियों के नामों को राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिता के लिए भेजा जायेगा। जिसके बाद वह राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शामिल होंगे।
युवा संसद में ए0एम0यू0 सहित अलीगढ़ जिले के विभिन्न कालिजों के छात्रों ने भाग लिया। निर्णायक मण्डल में प्रोफेसर असमर बेग, प्रोफेसर अरशी खान, श्री सतीश कुलश्रेष्ठ, डा0 सुभाष चौधरी और प्रोफेसर मुहिबुल हक शामिल थे। लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका ज़ेबा रिज़वी ने निभाई्र। इसके अलावा प्रधानमंत्री, गृह मंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में भी लोग मौजूद रहे। युवा संसद की कार्यवाही में नेता प्रतिपक्ष ने सत्ता पक्ष के गृहमंत्री से आतंकवाद समाप्त न होने के कारणों के बारे में तथा आतंकवाद समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा उठाये कदमों के बारे में प्रश्न किये जिसके जवाब में गृहमंत्री ने कहा कि आतंकवाद एक गंभीर समस्या है और इसके निपटने के लिए सरकार पूरी तरह से कटिबद्ध है।
उपस्थितजनों का आभार प्रोफेसर मसरूर आलम ने जताया और कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम समन्वयक डा0 अरशद हुसैन ने किया। युवा सांसद कार्यक्रम में पचास से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए।
.. मुस्लिम यूनिवर्सिटी के हालों, कालिजो एवं स्कूलो में 70 वां गणतंत्र दिवस समारोह हार्षोल्लास के वातावरण मे मनाया गया।
डा0 जेड0 ए0 डेन्टल कॉलेज में प्रिंसिपल प्रोफेसर आर0 के0 तिवारी ने ध्वजारोहण करने के बाद शिक्षको, छात्रो एवं स्टाफ कर्मियों को संबोधित किया। हादी हासन हाल में प्रवोस्ट प्रोफेसर सईदउल हसन आरिफ ने झंडा फहराया। इस अवसर पर सभी वार्डन्स, शिक्षक व स्टाफकर्मी मौजूद रहे। न्यू हॉल फॉर गर्ल्स में प्रवोस्ट प्रोफेसर सुबूही खान ने झंडा फहराया। वीमेन्स कॉलिज में प्रिंसिपल प्रोफेसर नईमा खातून गुलरेज ने ध्वजारोहण किया। गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में हुए क्रिकेट मैच के प्रतिभागियों को ट्राफी प्रदान की गई। अब्दुल्लाह हाल में प्रवोस्ट प्रोफेसर जे़बा शीरीं ने झंडा फहराया।
इस सीनियर सेकेंड्री स्कूल (गर्ल्स) में डिप्टी डायरेक्टर स्कूल प्रो0 आबिद अली ने ध्वजा रोहण किया प्रिंसपिल सुश्री नगमा इरफान ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इंटर स्कूल पेंटिंग प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को पुरूस्कार वितरित किये गये। ए0एम0यू0 गर्ल्स स्कूल में मुख्य अतिथि इंजी0 रईस अहमद सिद्दीकी ने झंडा रोहण किया। प्रिंसपिल श्रीमती आमना मलिक ने गणतंत्र के महत्व पर प्रकाश डाला। अहमदी स्कूल में सहायक शिक्षा निदेशक डा0 अनवर शहजाद ने झंडा फहराया। प्राचार्य श्रीमती फिरदौस रहमान ने समारोह में गण्गातंत्र दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। ए0एम0यू0 सिटी गर्ल्स हाई स्कूल में मुख्य अतिथि यूनिवर्सिटी हैल्थ आफीसर डा0 अली जाफर आब्दी ने झंडा फहराया। कार्यवाहक प्रिंसपिल एस0 एहतेशाम अकबर ने स्वागत भाषण दिया। ए0बी0के0 स्कूल गर्ल्स में उप-प्रधानाचार्य डा0 सबा हसन ने झंडा फहराया। सर शाह सुलेमान हाल में प्रवोस्ट प्रोफेसर सदफ जैदी ने झंडा फहराया जब कि ए0एम0यू0 किशनगंज सेंटर पर डायरेक्टर इंचार्ज डा0 शारिक राव ने ध्वजारोहण किया।

Post a Comment

0 Comments