विश्विद्यालय को शिक्षा के लिए और अधिक प्रभावी बनाये जाने के विषय में प्रधानमंत्री जी द्वारा अपना मत स्पष्ट न करना हास्यास्पद प्रतीत होता है।

 


                         Photo:- परवेज़ अली खान 

अलीगढ़ / भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में वर्चुअल माध्यम से अमुवि के छात्रों व अध्यापकों को संबोधित किया गया, संबोधन के विषय मे हमें ये कहते हुए बिल्कुल भी संकोच नहीं हो रहा है कि प्रधानमंत्री जी अपने संबोधन के माध्यम से अमुवि परिवार अथवा मुस्लिम समाज को प्रभावित करने में पूर्णतया विफल रहे हैं, ये एक ऐसा संबोधन था जिसे सुनने के पश्चात सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि ये जल्दबाजी व हताशा में दिया गया वक्तव्य है । विषय से भटका हुआ संबोधन किसी शिक्षण संस्था में दिए जाने वाले संबोधन की अपेक्षा किसी राजनीतिक मंच से दिया जाने वाला भाषण अधिक प्रतीत हो रहा था, प्रधानमंत्री जी के संबोधन पर ये प्रतिक्रिया पूर्व अमुवि कोर्ट सदस्य व आम आदमी पार्टी जिला अलीगढ़ के अध्यक्ष परवेज़ अली खान ने व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि उनके लिए शिक्षण संस्था व राजनीतिक मंच एक समान है, विश्विद्यालय की आवश्यकताओं अथवा विश्विद्यालय को शिक्षा के लिए और अधिक प्रभावी बनाये जाने के विषय में प्रधानमंत्री जी द्वारा अपना मत स्पष्ट न करना हास्यास्पद प्रतीत होता है।राजनीतिक दल विशेष के साथ नजदीकियों को अधिक महत्व दिये जाने को लेकर अमुवि इंताजामिया पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि- न तो खुदा मिला और ना ही बिसाले सनम। उन्होंने आगे कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को सारी दुनिया में शिक्षा के सर्वोच्च इदारे के रूप में जाना जाता है और मैं उपकुलपति महोदय से निवेदन करना चाहूँगा कि वो इसकी पहचान व रवायतों को कायम रखते हुए और अधिक बुलंदियों पर लेकर जाएं।

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