धर्मो को लेकर फेलाई जा रही हे नफरत

लुधियाना। हिन्दुस्तान में हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई के नाम पर फैलाए जा रहे सरकारी नफरत के बीजों के असर को कम करने के लिए अमन-ए-मोहब्बत का पैगाम लेकर लुधियाना की सरजमीं दाना मंडी में आयोजित राष्ट्रीय एकता सम्मेलन स्थल के मंच पर पंहुचे जमीयत-ए-उलेमा हिंद के सदर (अध्यक्ष) सैय्यद हजरत मौलाना अरशद मदनी का हजारों हाजरीन ने नारा-ए-तकबीर के गगनचुंबी नारों के बीच स्वागत किया।
ध्वजारोहण के उपरांत मंच से हजारों लोगो का इस्तकबाल करते हुए सैय्यद हजरत मौलाना अरशद मदनी ने जमीयत-ए-उलेमा हिंद के जन्म वर्ष 1919 से 1947 तक जमीयत-ए-उलेमा हिंद की तरफ से स्वतंत्रता संग्राम में दिए योगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि हिन्दू-मुस्लिम व सिखों सहित हर भारतीय ने कुर्बानियां देकर देश को आजाद करवाया। कांगे्रस को देश के बंटवारे के लिए जिम्मेंदार बताते हुए उन्होने कहा कि गांधी-नेहरु सरीखे नेताओं ने बंटवारे पर दस्तख्त कर आजादी के लिए मर मिटने वाले मुस्लमानों-सिखों व हिन्दुओं की पगडिय़ां पांव में रोल कर रख दी। कुछ लोगो ने पाकिस्तान को मुस्लिमों का हिस्सा दे, हिन्दुस्तान को हिन्दुओं का हिस्सा बताया ।
मगर देश भक्त मुस्लिमों ने अपनी सरजमीं को हिन्दुस्तान को अपना घर बता कर इसे छोडऩे से इंकार कर दिया। पिछले साढ़े चार वर्ष में केंद्र में सतासीन लोगो ने राजनितिक लाभ के लिए मंदिर-मस्जिद के नाम पर नफरत के बीज रोपित कर साम्प्रदायिक्ता का खेल शुरु कर हिन्दू-मुस्लिम को बांटने के प्रयत्न शुुरु किए। अगर हम लोगो ने मिलकर दिल्ली के गलियारों से उठ रहे नफरत के तूफान को न रोका तो न हिन्दुस्तान बचेगा न सैक्यूलजरिम बचेगा। इस दौरान उन्होने आसाम में डी-वोटर लिस्ट, सामान सिविल कोड के माध्यम से सामाजिक अफरा-तफरी फैलाने पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की। सम्मेलन में बतौर मुख्यतिथि शामिल हुए पंजाब के शाही इमाम मौलाना-हबीब उर-रहमान सानी लुधियानवी ने लुधियाना की सरजमीं पर पहली बार पधारे मौलाना सैय्यद अरशद मदनी साहिब का स्वागत करते हुए मदनी परिवार की तरफ से जंगेआजादी में दी गई कुर्बानियों को सलाम किया। उन्होने आजादी में मुस्लिमों के योगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि हिन्दुस्तान की जेलें गवाह है कि अपनी मातृभूमि को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करवाने में किस मजहब का कितना योगदान है। मंदिर-मस्जिद के नाम पर देश में उठे राजनितिक तूफान पर मौलाना ने कहा कि केंद्र में सतासीन लोग शायद भुल गए कि मुस्लिम वोट के बिना उनका वजूद नहीं है।
मुस्लिम समाज की देश भक्ति को शक की निगाह से देखने के प्रयासों पर उन्होने कहा कि मुस्लिम समाज ने ही सबसे पहले डंके की चोट पर आजादी का बिगुल बजाया था। 1933 में अंग्रेजी हकूमत की तरफ से स्टेशनों पर लगाए हिन्दू व मुस्लिम पानी के अलग-अलग घड़ों को देश भर में तोडऩे का श्रेय मजलिस-अहरार-हिंद को दिया। वहीं उन्होने पर मंच पर उपस्थित धर्म के लोगो को एक ही बोतल में पानी पिला कर अंत में खुद उस पानी को पीकर कर आपसी प्रेम व भाईचारे को मजबूत कर साम्प्रादायिक्ता का खेल खेलने वालों को मुंह तोड़ जवाब दिया। वाल्मीकि समाज से पधारे दर्शन रत्न रावण ने कहा कि देश पर सतासीन लोग बड़ी कंपनियों को शिक्षा, हैल्थ की कमान सौंप ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर कार्य कर रहें हैं।

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